इश्क़ = सौदा-ए -नाकाफ़ी

इश्क़ है हुजूर ये सौदा ए नाकाफी है, है बहार इसमें तो ग़म भी काफी है, तस्दीक से करना ओ मजनूं मदहोश ख्याली इसमें फ़ना हो जाते है

taruf itna dekar

तमन्ना छोड़ देते हैं… इरादा छोड़ देते हैं, चलो एक दूसरे को फिर से आधा छोड़ देते हैं। उधर आँखों में मंज़र आज भी वैसे का वैसा है, इधर हम भी निगाहों को तरसता छोड़ देते हैं। हमीं ने अपनी आँखों से समन्दर तक निचोड़े हैं, हमीं अब आजकल दरिया को प्यासा छोड़ देते हैं।Continue reading “taruf itna dekar”

रश्मिरथी

मुसीबत को जो नही झेल सकता, निराशा से जो नहीं खेल सकता। पुरुष क्या श्रृंखला को तोड़ करके, चले आगे नहीं जो जोर करके? दिनकर जी के ये शब्द न जाने कैसे किसे बदल दे और न जाने कैसे महसूस करने वालो के हृदय में अग्नि भर देते हैं। 🙏 उन्हें जो हमेशा कुछ अच्छाContinue reading “रश्मिरथी”

क्या है

मंजिल क्या है, रास्ता क्या है, सुनो सफ़र की दास्ताँ क्या है… मैं अकेला ही चलता रहा, यादों के आगे काफिला क्या हैं… ये पत्थर, ये मूरत,ये खुदा क्या है, कभी हमसे मिलो तो जानो वफा क्या है… तू गैर की हो गई ज़रा भी रंज नहीं, इश्क़ का हुस्न से मुकाबला क्या है… यूँContinue reading “क्या है”

इश्क़ मुजाहिद्दीन

ये इश्क़ मुजाहिद्दीन है, जिसकी हर शाम रंगीन है। इसको कोई कमी ना है, क्योंकि ये बहोत कमीना है। इसकी सांसे महजबीन है, अश्को से दिल को तोड़ दे, ये इतनी हसीन है। ये इश्क़ मुजाहिद्दीन है। ख्वाबो के गलियारों में, जो नहीं छोड़ता जमीन है। जिसकी डूबती हुई सांसे कहती आमीन है, ह येContinue reading “इश्क़ मुजाहिद्दीन”

Ghazal

शायद आगाज हुआ है फिर किसी अफ़साने का हुक्म आदम को है जन्नत से निकल जाने का उन से कुछ कह तो रहा हु मगर अल्लाह ने करे वो भी महफ़ूम न समझे मेरे अफ़साने का देखने की ये हज़रत-ऐ-वाइज न हो रास्ता पूछ रहा कोई मैखाने का बेताल्लुक तेरे आगे से गुजर जाता हूंContinue reading “Ghazal”